पहल्गाम आतंकी हमले के बाद भारत ने वैश्विक स्तर पर एक व्यापक कूटनीतिक अभियान शुरू किया है, जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख से अवगत कराना है। सरकार ने विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों, पूर्व राजनयिकों और विशेषज्ञों की टीमों को प्रमुख वैश्विक राजधानियों में भेजने की योजना बनाई है, ताकि भारत की स्थिति को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया जा सके।
इस पहल के तहत, भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 प्रतिबंध समिति में ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) को आतंकवादी संगठन घोषित करने के लिए प्रमाण प्रस्तुत किए हैं। TRF को लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी माना जाता है और पहल्गाम हमले में इसकी संलिप्तता के ठोस सबूत भारत ने संयुक्त राष्ट्र अधिकारियों को सौंपे हैं।
इसके अतिरिक्त, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अफगानिस्तान के तालिबान शासन के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी से बातचीत की, जिसमें उन्होंने पहल्गाम हमले की निंदा के लिए तालिबान के समर्थन की सराहना की। यह भारत और तालिबान के बीच पहला उच्च-स्तरीय राजनीतिक संपर्क था।