बेंगलूरु के सेंट्रल CEN क्राइम पुलिस ने मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से अलग कर्नाटक में भी हुए अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाले की जांच शुरू की, जिसमें 2021–2023 के बीच लगभग ₹1.35 करोड़ की धनराशि शैक्षिक फर्जीवाड़े से निकाली गई । शिकायतकर्ता और अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी प्रदीप सिम्मा एम के अनुसार, इस घोटाले में 643 अयोग्य छात्रों को देशी-विदेशी स्कॉलरशिप पोर्टल पर नामांकित कर दिया गया, जबकि वे 50% न्यूनतम अंक भी प्राप्त नहीं कर पाए थे।
शामिल निजी कॉलेजों के नोडल अधिकारियों और छात्रों की भूमिका सामने आई है, जिन्होंने झूठा दस्तावेज़ तैयार कर ऑनलाइन आवेदन भरा । पोर्टल पर फर्जी एंट्री मिलीं तो पूरे केस की पोल खुल गई। इस पर पुलिस ने आईटी अधिनियम (धारा 66C व 66D) के तहत एफआईआर दर्ज कर दी। अब पुलिस जांच के प्रारंभिक चरण में आरोपी कॉलेजों के प्राचार्यों, नोडल अधिकारियों, और छात्रों को नोटिस भेजना शुरू कर दिया गया है।
यह खुलासे देश में चल रहे कई छात्रवृत्ति घोटालों की श्रंखला से मेल खाते हैं, जहां स्कॉलरशिप का मूल उद्देश्य ही भ्रष्टाचार और कागज़ी हेराफेरी का आधार बन चुका है।