कांग्रेस ने आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबाले की संविधान प्रस्तावना से “धर्मनिरपेक्ष” व “समाजवादी” शब्द हटाने की मांग पर तीखा हमला बोला है। जयराम रमेश ने X पर लिखा कि “आरएसएस ने कभी भी भारतीय संविधान को स्वीकार नहीं किया” और आरोप लगाया कि संघ ने संविधान निर्माता डॉ. अम्बेडकर और नेहरू पर निरंतर हमला किया है ।
उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान संविधान में यह संशोधन बिना जन-सहमति के जोड़ा गया था, और संघ व भाजपा संविधान बदलने की पुरानी मांग पर सजग बने हुए हैं—जिसे 2024 के लोकसभा चुनावों में जनता ने खारिज कर दिया फिर भी यह प्रयास जारी हैं । रमेश ने सुप्रीम कोर्ट के नवंबर 2024 के फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें यह कहा गया कि प्रस्तावना विधानसभा में संशोधित की जा सकती है और “समाजवादी–धर्मनिरपेक्ष” शब्दों को संविधान की मूल आत्मा का हिस्सा बताते हुए इनकी वैधता पर पुनर्विचार नहीं किया जाना चाहिए ।
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) सहित कई संगठन होसबाले की बात को “संविधान की आत्मा पर हमला” बताते हुए कड़ी निंदा कर चुके हैं । कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि उन मूल्यों को रोशन रखा जाएगा, जिन्हें संविधान ने स्वतंत्रता, समानता और सामाजिक न्याय के मार्ग पर कायम रखा है।
यह विवाद न केवल राजनीतिक मान्यताओं की जंग दिखाता है, बल्कि यह दर्शाता है कि संविधान की प्रस्तावना में निहित दर्शन—समानता, धर्मनिरपेक्षता और कल्याणकारी राज्य की चाह—पर बहस देश की लोकतांत्रिक साख के लिए अहम बनी हुई है।