भारत के उपराष्ट्रपति चुनाव में इस बार दिलचस्प ‘South vs South’ मुकाबला देखने को मिल सकता है। डीएमके (DMK) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद तिरुची शिवा को विपक्ष की ओर से उम्मीदवार बनाए जाने की संभावना जताई जा रही है। अगर ऐसा होता है तो उनका सीधा मुकाबला सत्तारूढ़ एनडीए के उम्मीदवार से होगा, जिनका नाम भी दक्षिण भारत से होने की चर्चा है।
तिरुची शिवा का नाम इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि वह लंबे समय से संसद में सक्रिय हैं और सामाजिक न्याय व क्षेत्रीय मुद्दों पर मुखर आवाज रहे हैं। DMK ने स्पष्ट किया है कि वह विपक्ष की एकजुटता के लिए तैयार है और उपराष्ट्रपति पद के लिए एक सशक्त विकल्प देने का प्रयास करेगा।
उधर, भाजपा और एनडीए भी अपने उम्मीदवार को लेकर रणनीति बनाने में जुटे हैं। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि दक्षिण भारत से उम्मीदवार उतारने के पीछे मकसद इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करना है।
अगर तिरुची शिवा विपक्ष की ओर से आधिकारिक उम्मीदवार बनते हैं तो यह चुनाव न केवल सत्ता और विपक्ष के बीच, बल्कि दक्षिण भारत की सियासत में वर्चस्व की लड़ाई के तौर पर भी देखा जाएगा।