सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: हाईकोर्ट जज पर आपराधिक मामलों की सुनवाई से लगा प्रतिबंध हटाया

सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त के अपने आदेश को वापस कर दिया है, जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस प्रशांत कुमार को सेवानिवृत्ति तक अपराध संबंधी मामलों की सुनवाई से वंचित कर दिया गया था। यह फैसला उच्च न्यायालय की वरिष्ठता को नजरअंदाज करते हुए जारी किया गया था।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जज प्रशांत कुमार के उस आदेश की आलोचना की थी, जिसमें उन्होंने पैसे की मांग को लेकर दायर अपराधिक एफआईआर को “सिविल विकल्प पर्याप्त नहीं” बताते हुए जारी रहने की अनुमति दी थी — इसे ‘सबसे गलत और त्रुटिपूर्ण आदेशों में से एक’ करार दिया गया था।

हालांकि, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, बी.आर. गवाई ने सुप्रीम कोर्ट को यह निर्देश पुनर्विचार करने के लिए लिखा कि इससे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की प्रशासनिक शक्तियों में हस्तक्षेप हो रहा है।

इस विवाद ने न्यायपालिका में तनाव की स्थिति पैदा कर दी, जहां 13 इलाहाबाद HC के जजों ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को निर्देश का पालन न करने की अपील की है। मामले को फिर से ताज़ा सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

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