तमिलनाडु सरकार ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने राज्य को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 को लागू करने के लिए दबाव बनाने के उद्देश्य से ₹2,151.59 करोड़ की केंद्रीय शिक्षा निधि रोक दी है। राज्य सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री स्कूलों के लिए समग्र शिक्षा योजना (PM SHRI) के तहत NEP को लागू करने की शर्त रखी है, जो राज्य की दो-भाषा नीति के खिलाफ है। तमिलनाडु ने 1968 में हिंदी के अनिवार्य शिक्षण का विरोध किया था और राज्य के शिक्षा कानूनों के तहत केवल तमिल और अंग्रेजी को ही अनिवार्य भाषा के रूप में स्वीकार किया है।
राज्य सरकार ने NEP और PM SHRI योजना को राज्य पर लागू करने को असंवैधानिक और अवैध बताया है। याचिका में यह भी कहा गया है कि केंद्र सरकार ने RTE अधिनियम, 2009 के तहत अपनी 60% हिस्सेदारी की राशि नहीं दी है, जिससे 43.94 लाख छात्रों, 2.21 लाख शिक्षकों और 32,701 स्कूल कर्मचारियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को आदेश देने की मांग की है कि वह राज्य को NEP और PM SHRI योजना को लागू करने के लिए बाध्य न करे और राज्य की शिक्षा नीति में हस्तक्षेप न करे।