उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग ने रविवार को विश्व ORS दिवस के अवसर पर एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए राजधानी लखनऊ में ‘डायरिया रोको कार्यशाला’ का आयोजन किया। इस पहल का मुख्य उद्देश्य था बच्चों में डायरिया की वजह से होने वाली मृत्यु दर को शून्य तक लाना और समाज में इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाना।
कार्यशाला में स्वास्थ्य अधिकारियों, चिकित्सकों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और मेडिकल छात्रों ने भाग लिया। विशेषज्ञों ने बताया कि ओआरएस और जिंक के नियमित उपयोग से बच्चों को डायरिया के खतरे से बचाया जा सकता है। बच्चों में पांच वर्ष की आयु तक डायरिया मृत्यु का एक बड़ा कारण है, और यह अभियान उसी की रोकथाम के लिए उठाया गया कदम है।
राज्य स्वास्थ्य विभाग के सचिव ने कहा, “हमारा उद्देश्य केवल ORS बांटना नहीं, बल्कि सामुदायिक स्तर पर जागरूकता फैलाकर हर गांव और हर घर तक संदेश पहुंचाना है।” उन्होंने यह भी जानकारी दी कि आने वाले सप्ताहों में पूरे प्रदेश में स्कूलों और स्वास्थ्य केंद्रों पर ORS जागरूकता शिविर लगाए जाएंगे।
इस अवसर पर ‘डायरिया मुक्त बचपन’ का संकल्प भी लिया गया, जिसमें ज़िला प्रशासन से लेकर स्वास्थ्य कार्यकर्ता तक सभी ने एकजुट होकर इस चुनौती को हराने का भरोसा जताया।
यह पहल राज्य सरकार की उस व्यापक योजना का हिस्सा है, जिसमें 2030 तक बच्चों की रोकी जा सकने वाली बीमारियों से मृत्यु दर को शून्य करने का लक्ष्य रखा गया है।