बिहार में मतदाता सूची की विशेष जांच (SIR) के दौरान चुनाव आयोग को बड़ी गड़बड़ी का पता चला है. शुरुआती जांच में लगभग 3 लाख ऐसे लोगों के नाम सामने आए हैं जिनकी भारतीय नागरिकता संदिग्ध है. आयोग ने सभी को नोटिस जारी कर सात दिनों के भीतर अपनी नागरिकता साबित करने के लिए कहा है. अधिकारियों का मानना है कि इनमें से ज्यादातर लोग नेपाल और बांग्लादेश से संबंधित हो सकते हैं.
मिली जानकारी के मुताबिक, अब तक जिन आठ जिलों में ऐसे मतदाताओं की पहचान हुई है उनमें पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, मधुबनी, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, अररिया और सुपौल शामिल हैं. ये जिले नेपाल और बांग्लादेश की सीमा से सटे हैं, इसलिए यहां अवैध घुसपैठ के मामले अधिक देखे जा रहे हैं. जांच अभी अन्य जिलों में भी जारी है और संदिग्ध नामों की संख्या और बढ़ सकती है.
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि जिन लोगों को नोटिस भेजा गया है, उन्हें 25 सितंबर से पहले नागरिकता प्रमाणित करने वाले दस्तावेज पेश करने होंगे. ऐसा न करने पर उनके नाम मतदाता सूची से हटा दिए जाएंगे और वे आगामी विधानसभा चुनाव में मतदान नहीं कर पाएंगे. आयोग यह भी जांच करेगा कि इन लोगों ने आधार और अन्य पहचान पत्र किस आधार पर बनवाए.
आपको बता दें कि एसआईआर प्रक्रिया के तहत आयोग ने पहले ही 65 लाख ऐसे नाम मतदाता सूची से हटा दिए थे. इनमें वे लोग शामिल हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी थी, जो बिहार से स्थायी रूप से बाहर चले गए या जिनके नाम वोटर लिस्ट में दो जगह दर्ज थे.
फिलहाल दावा और आपत्ति दर्ज करने की प्रक्रिया चल रही है. आयोग ने कहा है कि 30 सितंबर तक अंतिम मतदाता सूची जारी कर दी जाएगी. इसके बाद केवल वही लोग मतदाता माने जाएंगे जिन्होंने अपनी पहचान और नागरिकता सही तरीके से साबित कर दी है.