उत्तराखंड की पांच बड़ी डिमांड केंद्र में अटकी,मंजूरी मिलने पर बदल जाएगी प्रदेश के विकास की तस्वीर

उत्तराखंड राज्य के पांच महत्वपूर्ण और बड़े नीतिगत मसले केंद्र सरकार में लंबित हैं। इन नीतिगत मसलों के समाधान से उत्तराखंड राज्य को देश का अग्रणीय राज्य बनाने में बड़ी मदद मिल सकती है।

नीति आयोग की बैठक में इन सभी मसलों को उठाने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इनके बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भी चर्चा कर चुके हैं। इस बारे में उनकी ओर से केंद्र सरकार को स्मरण पत्र भी दिए गए हैं। लेकिन अभी इन सभी प्रमुख मसलों पर धामी सरकार को केंद्र की हामी का इंतजार है।

केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने उत्तराखंड और हिमाचल राज्य को बाह्य सहायतित योजनाओं के लिए 2025 तक के लिए फंडिंग की सीलिंग तय कर दी है। राज्य सरकार इससे असहज है। सरकार ने केंद्र से सीलिंग हटाने का अनुरोध किया।राज्य सरकार चाहती है कि 25 मेगावाट से कम क्षमता की परियोजना की मंजूरी और उनके क्रियान्वयन का अधिकार राज्य को ही मिलना चाहिए।

केंद्र की कई केंद्र पोषित योजनाएं राज्य की विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों और आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं हैं।प्रदेश सरकार औद्योगिक प्रोत्साहन नीति में विस्तार चाहती है। यह नीति वर्ष 2022 में खत्म हो गई है। लेकिन जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों को इस नीति का लाभ मिल रहा है। 

प्रदेश सरकार ग्लेशियर वाली नदियों को बरसाती नदियों से जोड़ने की योजना पर विचार कर रही है। इस परियोजना के लिए राज्य सरकार ने केंद्र से विशेष वित्तीय व तकनीकी सहयोग का अनुरोध किया है। यह मसला मुख्यमंत्री प्रत्येक मंच पर मजबूती से उठा रहे हैं। इस पर भी मंजूरी का इंतजार है।

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