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ईपीएफओ खाता धारकों के लिए अच्छी खबर, निकासी के नियमों में बड़ी राहत

सांकेतिक फोटो

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) खाता धारकों के लिए अच्छी खबर सामने आई है. जी हां 238वीं सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की बैठक सोमवार को केंद्रीय श्रम मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया की अध्यक्षता में संपन्न हुई. इस बैठक में कई अहम निर्णय लिए गए. इनका सीधा लाभ देश के 30 करोड़ से अधिक पीएफ खाताधारकों को मिलेगा. सबसे बड़ा फैसला 100 प्रतिशत एलिजिबल बैलेंस की निकासी को लेकर लिया गया है, जिससे कर्मचारियों को उनके जमा पैसों तक आसान पहुंच मिलेगी.

ईपीएफओ के खाता धारक अब नई व्यवस्था के तहत अब अपने खाते से कर्मचारी (Employee Share) और नियोक्ता (Employer Share) दोनों का हिस्सा एक साथ निकाल सकेंगे. इससे पहले अलग-अलग प्रक्रिया के तहत ही निकासी की जा सकती थी, जिससे कई बार कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था.

निकासी के नियमों में बड़ी राहत
जहां पहले निकासी के लिए 13 अलग-अलग कारणों का जिक्र होता था. वहीं अब नए बदलाव के तहत उसे घटाकर सिर्फ तीन श्रेणियों में रखा गया है:

  1. आवश्यक जरूरतें (जैसे शिक्षा, शादी, बीमारी)
  2. आवास संबंधी खर्च
  3. विशेष परिस्थितियां

25 प्रतिशत न्यूनतम बैलेंस रखना अनिवार्य
हालांकि, पूरी राशि निकालने की सुविधा के बावजूद खाते में न्यूनतम 25 फीसदी बैलेंस बनाए रखना जरूरी होगा. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सदस्य सालाना 8.25 प्रतिशत ब्याज और चक्रवृद्धि ब्याज का लाभ प्राप्त करते रहें. इससे भविष्य की बचत और आवश्यकताओं के बीच संतुलन बना रहेगा.

शादी-शिक्षा के लिए निकासी की सीमा बढ़ी
शादी और शिक्षा के लिए निकासी की सीमा में भी सुधार किया गया है. अब शादी के लिए 5 बार और शिक्षा के लिए 10 बार तक निकासी की जा सकेगी. यह सुविधा पहले क्रमशः 3 बार तक ही सीमित थी.

डिजिटल प्रक्रिया और वरिष्ठों के लिए सुविधा
निकासी प्रक्रिया को अब पूरी तरह डिजिटल कर दिया गया है. किसी भी तरह के डॉक्यूमेंट की जरूरत नहीं होगी, जिससे प्रक्रिया अधिक सरल और तेज हो जाएगी. इसके अलावा, वरिष्ठ नागरिकों के लिए डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट घर बैठे जमा करने की सुविधा भी शुरू की गई है, जिससे विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले पेंशनर्स को राहत मिलेगी.

‘विश्वास’ स्कीम की शुरुआत
EPFO ने ‘विश्वास’ नामक नई योजना भी शुरू की है, जिसके अंतर्गत विलंबित पीएफ भुगतान पर लगने वाले दंड को घटाकर 1 फीसदी प्रति माह कर दिया गया है. इन बदलावों से न केवल ईपीएफओ की सेवाएं ज्यादा पारदर्शी और सुलभ बनेंगी, बल्कि कर्मचारियों को अपनी मेहनत की कमाई तक बेहतर पहुंच भी मिलेगी.

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