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रेपो रेट को लेकर आरबीआई ने नहीं किया कोई बदलाव

अक्टूबर महीने की शुरुआत लोगों के लिए बड़ी और राहत भरी खबर की उम्मीद थी. दरअसल केंद्र सरकार की ओर से एक बार फिर लोगों को त्योहार से पहले बड़ी सौगात मिल मिलने के आसार थे. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से चल रही तीन दिन की एमपीसी मीटिंग के नतीजे सामने आ गए हैं. आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने इस दौरान रेपो रेट को लेकर बयान दिया. उन्होंने रेपो रेट की दरों में कोई बदलाव नहीं किया है.

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक का बुधवार को अंतिम दिन था. इसका परिणाम सुबह 10 बजे घोषित किया गया. गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में रेपो रेट को लेकर बड़ा ऐलान की संभावना थी लेकिन आरबीआई ने इसे यथावत ही रखा. रेपो रेट में कटौती होती तो आपके लोन एक बार फिर सस्ते हो जाते. यानी आपकी ईएमआई का बोझ कम होता.

बता दें कि 1 अक्टूबर 2025 से देश में कई महत्वपूर्ण बदलाव लागू हो गए हैं, जिनका सीधा असर आम लोगों की जेब और बैंकिंग से जुड़ी सुविधाओं पर पड़ेगा. बाजार विशेषज्ञों और हालिया SBI रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, उम्मीद जताई जा रही थी कि इस फेस्टिव सीजन में आरबीआई जनता को राहत देते हुए रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट यानी 0.25% की कटौती कर सकता है. ऐसा होता तो यह इस साल की चौथी कटौती होती और रेपो रेट घटकर 5.25% पर आ जाएगा, जो अभी 5.50% है. लेकिन आरबीआई की ओर से ऐसा नहीं किया गया और अब अगस्त की तरह इस बार भी रेपो रेट 5.50% पर बरकरार है.

बता दें कि इससे पहले, फरवरी, अप्रैल और जून 2025 की एमपीसी बैठकों में रेपो रेट को क्रमशः घटाया गया था, जिससे यह 6.50% से घटकर 5.50% तक पहुंच गया. हालांकि, अगस्त में इसे स्थिर रखा गया था.

रेपो रेट में कटौती से क्या फायदा
रेपो रेट में कटौती का मतलब है कि बैंक अब सस्ते में लोन ले सकेंगे और इसका सीधा फायदा आम उपभोक्ताओं को होगा. आपकी होम लोन, ऑटो लोन या पर्सनल लोन की EMI कम हो सकती है. लेकिन फिलहाल आरबीआई के फैसले से ईएमआई जस की तस बनी रहेंगी. रेपो बढ़ाया जाता तो आप पर ईएमआई का बोझ बढ़ता है. त्योहारी सीजन के चलते शायद इसमें बढ़ोतरी नहीं की गई है. महंगाई को देखते हुए आरबीआई ने कटौती भी नहीं की है.

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