न्यू दिल्ली, 4 जुलाई: 12 जून को अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भरे एयर इंडिया फ्लाइट AI‑171 के हादसे में मारे गए यात्रियों के परिवार अब मुआवज़े की मांग को लेकर एयर इंडिया पर दबाव और धमकी देने का आरोप लगा रहे हैं। यूके की कानूनी फर्म Stewarts Law, जो 40 से अधिक परिवारों का प्रतिनिधित्व कर रही है, का कहना है कि एयर इंडिया ने प्रारंभिक मुआवज़ा दिलाने के लिए जटिल और संवेदनशील वित्तीय विवरण देने वाले फॉर्म भरने के लिए दबाव डाला — “गरमी में, भीड़ में, बिना कानूनी सलाह के” ।
परिवारों का आरोप है कि अगर उन्होंने यह फॉर्म नहीं भरा, तो उन्हें कोई अग्रिम मुआवज़ा नहीं मिलेगा। Stewarts के वकील पीटर नीनन ने इसे “naitik रूप से घोर” बताया और बताया कि एयर इंडिया ने फॉर्म को मुआवज़े की राशि कम करने के लिए इस्तेमाल किया । वहीं, एयर इंडिया इस आरोप को “बिना आधार और गलत” कह रहा है, और दावा कर रहा है कि यह प्रक्रिया पारदर्शिता और शीघ्रता सुनिश्चित करने के लिए थी, साथ में अभी तक 47 परिवारों को अग्रिम मुआवज़ा भी दिया जा चुका है ।
यूके‑अमेरिका की कानूनी टीमें बुओइंग और एयर इंडिया दोनों के खिलाफ उच्च न्यायालयों में मुद्दा उठाने की तैयारी कर रही हैं, ताकि अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत सही मुआवज़ा और न्याय मिल सके । Montreal कन्वेंशन के मुताबिक, एयरलाइनों को सिर्फ पहचान दस्तावेज दिखाकर ही अग्रिम भुगतान करना होता है, फॉर्म भरने की शर्त नहीं होती ।
इस गंभीर स्थिति में अब एयर इंडिया की मनी‑डिपेंडेंसी वाले फॉर्म की प्रक्रियाओं, पारदर्शिता और कानूनी आधार की जांच की मांग भी उठ रही है। आगामी हफ्तों में यह विवाद और भी गरमा सकता है।