केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में जीएसटी दरों को चार स्लैब से दो (5% और 18%) तक सीमित किया गया—इस समयबद्धता ने राजनीतिक गलियारे में हलचल मचा दी है। वित्त मंत्रालय का कहना है कि यह कदम महंगाई को नियंत्रित करने, दूसरे सेतु (GST 2.0) के रूप में आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करने का प्रयास है । उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने इसे “गेम-चेंजर” करार दिया और उद्योग समूहों से जनता तक इस छूट को वास्तविक लाभ के रूप में पहुँचाने की अपील की है। इसके साथ ही सरकार यह सुनिश्चित करने की बात कर रही है कि यह राहत सीधे आम जनता को मिले ।
विश्लेषकों और विपक्ष का कहना है कि यह रणनीति राजनीतिक रूप से समयबद्ध है—विशेषकर बिहार जैसे चुनावी भावनाओं से भरे राज्य में। राजकीय और व्यापारिक वर्गों द्वारा इसे महंगाई पर प्रभावी जवाब माना जा रहा है—छोटे व्यापारियों को राहत मिलेगी, और विपक्ष के दावे कमजोर हो सकते हैं ।
हालांकि, आलोचक सवाल उठा रहे हैं—क्या यह कहीं न केवल चुनाव में फायदा मिलने की कोशिश तो नहीं? कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा है, “यह राहत 8 साल देरी से मिली” और समय पर उठ खड़ी हुई चिंता पर प्रश्न उठाए हैं।