केरल में मस्तिष्क-भक्षी एमीबा (Naegleria fowleri) के कारण इस वर्ष अब तक 42 मामलों की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें से पांच लोगों की मौत हो चुकी है। हाल ही में मलप्पुरम जिले की 56 वर्षीय महिला शोभना की कोझिकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई। इससे पहले, अगस्त में भी तीन मौतें हुई थीं, जिनमें एक तीन महीने का बच्चा और एक नौ वर्षीय बच्ची शामिल हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने इस गंभीर स्थिति को देखते हुए राज्य सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिनियम के तहत जल शुद्धिकरण अभियान “जलमणु जीवन” की शुरुआत की है। इस अभियान के तहत, कुओं और जलाशयों में क्लोरीनेशन किया जा रहा है और लोगों को जल स्रोतों में नहाने से बचने की सलाह दी जा रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान के कारण एमीबा के प्रसार में वृद्धि हो रही है। हालांकि, केरल में समय पर उपचार और मिल्टेफोसिन जैसी दवाओं के उपयोग से मृत्यु दर को वैश्विक औसत 97% से घटाकर लगभग 35% तक कम किया गया है।
स्वास्थ्य विभाग ने प्राथमिक एमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (PAM) के उपचार के लिए विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं और लोगों से जल स्रोतों में नहाने से बचने की अपील की है।