लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़े शब्दों में आपत्ति जताई, खासतौर पर अर्जित टिप्पणी के लिए—”अगर आप सच्चे भारतीय होते, तो ऐसा नहीं कहते।” अदालत ने यह भी पूछा कि चीन सीमापार कब्ज़ा संबंधी आरोप संसद में उठाने की बजाय उन्होंने सोशल मीडिया पर क्यों कहे? हालाँकि कोर्ट ने मानहानि मामले में राहत दी, लेकिन टिप्पणी ने राजनीतिक तापमान बढ़़ा दिया।
वहीं NDA संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी दलों पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि वे प्रतिदिन संसद को बाधित कर “खुद ही अपनी कब्र खोद रहे हैं”। उन्होंने सवाल उठाया: “हम उन्हीं को रोकें, जो अपने पैर पर पत्थर मार रहे हैं?”इसके साथ ही उन्होंने विपक्ष के सिंदूर ऑपरेशन पर बहस करने की मांग को रणनीतिक भूल बताया।
SC की टिप्पणी के बाद, INDIA ब्लॉक ने इसे “अत्यधिक और अनुचित” बताया और विपक्षी नेता के लोकतांत्रिक अधिकार का समर्थन किया। उन्होंने कहा, “नेता विपक्ष का काम है देशहित के मुद्दे उठाना।”
इस पूरे घटनाक्रम ने संसदीय लड़ाई को जोरदार ऊंचाई दी, जहाँ रूढ़िवादी बहस से कहीं आगे जाकर संवैधानिक और नैतिक प्रश्न उभरे हैं।