स्विट्जरलैंड के आल्प्स पर्वतों में स्थित एक छोटा-सा गांव हाल ही में तबाही का शिकार बन गया, जब एक विशाल ग्लेशियर के टूटने से अचानक हिमस्खलन (Avalanche) हुआ और पूरा गांव कुछ ही पलों में बर्फ में समा गया। वैज्ञानिकों और अधिकारियों के अनुसार, यह घटना जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण ग्लेशियर के तेज़ी से पिघलने की वजह से हुई।
इस हादसे में दर्जनों घर, स्कूल और एक पुराना चर्च पूरी तरह से बर्फ के नीचे दब गए। राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी है, लेकिन भारी बर्फबारी और दुर्गम इलाका बचाव कार्य में बाधा बन रहा है। स्थानीय लोगों को पहले ही सतर्क किया गया था, जिससे बड़ी जनहानि टल गई, लेकिन संपत्ति का भारी नुकसान हुआ है।
ग्लेशियर टूटने की घटनाएं अब सामान्य होती जा रही हैं, जो कि पर्यावरणीय असंतुलन का संकेत है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो ऐसी घटनाएं भविष्य में और भी भयावह रूप ले सकती हैं।
यह घटना न केवल स्विट्जरलैंड के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए चेतावनी है कि जलवायु परिवर्तन को अब हल्के में लेना आत्मघाती साबित हो सकता है।