केंद्र सरकार आगामी मानसून सत्र में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है। यह कदम उनके सरकारी आवास से बड़ी मात्रा में जलकर नष्ट हुई नकदी मिलने के बाद उठाया गया है। 14 मार्च को दिल्ली में हुई इस घटना की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय समिति गठित की थी, जिसने आरोपों को गंभीर पाया। पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने इस रिपोर्ट के आधार पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को वर्मा के खिलाफ महाभियोग की सिफारिश की थी। हालांकि, वर्मा ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है। अब यह सिफारिश लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा सभापति को भेजी गई है।
महाभियोग प्रस्ताव को संसद में आगे बढ़ाने के लिए राज्यसभा में कम से कम 50 और लोकसभा में 100 सांसदों का समर्थन आवश्यक है। यदि प्रस्ताव पारित होता है, तो यह भारतीय न्यायिक इतिहास में पहला उदाहरण होगा जब किसी संवैधानिक अदालत के न्यायाधीश को महाभियोग द्वारा हटाया जाएगा। सरकार विपक्षी दलों से भी समर्थन जुटाने की कोशिश कर रही है, ताकि यह संवेदनशील मुद्दा व्यापक सहमति से आगे बढ़ सके।