उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र में एक बार फिर कुदरत का कहर टूटा। देर रात बादल फटने की घटना ने सबको झकझोर कर रख दिया। तेज़ बारिश के बीच अचानक आई बाढ़ ने मजदूरों के तंबुओं को बहा दिया। जान बचाने के लिए जो जाग गया, वो किसी तरह सुरक्षित स्थान पर पहुँच गया। लेकिन जो नींद में डूबे रहे, वे मलबे और पानी के तेज़ बहाव में लापता हो गए।
“पानी अचानक आया… जैसे किसी ने झिंझोड़कर उठाया हो,” कांपती आवाज़ में एक मजदूर ने बताया। “मैं बाथरूम की ओर गया था, तभी तेज़ शोर सुना… बाहर आया तो देखा सब कुछ बह रहा था।”
करीब आधी रात को तेज़ गर्जना के साथ बादल फटा और देखते ही देखते मजदूरों के शिविरों में पानी घुस गया। कोई कंबल लपेटे भागा, कोई नंगे पांव जान बचाने की कोशिश करता रहा। अब तक 6 मजदूर लापता बताए जा रहे हैं, जबकि 8 को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है।
रेस्क्यू टीम और SDRF घटनास्थल पर जुटी है। खोजबीन जारी है, लेकिन मलबे और कीचड़ में राहत कार्य बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है।
स्थानीय प्रशासन ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि “यह प्राकृतिक आपदा थी, लेकिन हमारी पूरी टीम अलर्ट पर है।”
घटना ने एक बार फिर दिखा दिया कि पहाड़ों में बसे मजदूरों और आम लोगों के लिए प्रकृति की एक आहट भी मौत बनकर आ सकती है।