वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में आयोजित NDTV प्रॉफिट GST सम्मेलन में कहा कि शराब को वस्तु एवं सेवा कर (GST) के दायरे में लाना पूरी तरह से राज्यों के निर्णय पर निर्भर करता है। उन्होंने स्पष्ट किया, “यह राज्यों पर निर्भर है… मैं इस पर टिप्पणी नहीं कर सकती” ।
वर्तमान में, शराब पर उत्पाद शुल्क और मूल्य संवर्धित कर (VAT) राज्य सरकारों द्वारा लगाया जाता है, जो राज्यों के लिए एक महत्वपूर्ण राजस्व स्रोत है। दिल्ली सरकार ने मार्च में बताया था कि उसने शराब करों से 5,069 करोड़ रुपये की आय प्राप्त की, जबकि दूध की बिक्री से 210 करोड़ रुपये ही मिले ।
हाल ही में GST परिषद ने कर संरचना में सुधार करते हुए 12% और 28% के स्लैब को समाप्त कर केवल 5% और 18% के दो स्लैब रखे हैं। हालांकि, “सिन गुड्स” जैसे तंबाकू, उच्च श्रेणी की कारें और कार्बोनेटेड पेय पदार्थों पर 40% की विशेष कर दर लागू की गई है।
निर्मला सीतारमण ने बताया कि ये सुधार 18 महीने की व्यापक विचार-विमर्श के बाद लागू किए गए हैं, और इनका उद्देश्य उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा देना और छोटे व्यवसायों के लिए अनुपालन को सरल बनाना है ।