उत्तराखंड में आज से सरकारी स्कूलों की कक्षाएं दोबारा शुरू हो गई हैं, लेकिन 942 से अधिक स्कूल भवनों की खस्ता स्थिति को लेकर चिंता गहराती जा रही है। शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में लगभग 2,785 सरकारी स्कूल जर्जर भवनों में संचालित हो रहे हैं, जिनमें से 500 से अधिक हालत अत्यंत गंभीर बताई जा रही हैं—खासकर पहाड़ी इलाकों में, जैसे पौड़ी, अल्मोड़ा, चमोली और देहरादून में ।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मानसूनी बारिश से पहले इन विद्यालयों की संरचनात्मक जांच करने के निर्देश दिए हैं। हाल ही में एक समीक्षा बैठक में उन्होंने कहा कि कमजोर स्कूल भवनों की मरम्मत व पुनर्निर्माण को प्राथमिकता दी जाएगी, और यह कार्य 2026 तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है ।
उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्येक जिले में क्लस्टर विद्यालयों के लिए एक-एक आवासीय छात्रावास बनाए जाएंगे, जिससे दूरदराज के छात्रों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें । साथ ही, सभी स्कूलों में पूर्व-मॉनसून निरीक्षण, Gita-अध्ययन को पाठ्यक्रम में शामिल करना, NCC एवं NSS कार्यक्रमों को बढ़ावा देन एवं पाठ्यपुस्तकों का समय से वितरण सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए गए ।
राज्य सरकार का दावा है कि यह पहल बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा शिक्षा स्तर सुधारने की दिशा में एक मजबूत कदम है। हालांकि, भवनों की हालत व मरम्मत की गति को लेकर शिक्षकों और अभिभावकों में अभी भी चिंता बनी हुई है।