उत्तराखंड की नन्हीं परी का 2014 का दर्दनाक रेप-मर्डर मामला एक बार फिर headline में है। सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य आरोपी अख्तर अली को सबूतों की कमी और अभियोजन पक्ष की कमज़ोरियों के चलते बरी कर दिया है।
घटनास्थल था हल्द्वानी के काठगोदाम क्षेत्र में एक शादी समारोह के दौरान जहाँ छह साल की बच्ची की हत्या से पहले बलात्कार किया गया था। पुलिस ने कुछ ही माह बाद एफआईआर दर्ज की। trial अदालत ने अख्तर अली को मौत की सजा और उनके साथी प्रेमपाल वर्मा को पाँच वर्ष की सजा सुनाई थी। बाद में हाई कोर्ट ने भी ये सजा बरकरार रखी थी।
लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों को पर्याप्त नहीं माना। स्थिति की जांच में कई चूकें सामने आईं—जैसे कि मोबाइल कॉल रिकॉर्ड, गवाहों के बयान, अंतिम दृश्य सिद्धांत (‘last seen’) और फॉरेंसिक साक्ष्यों की विश्वसनीयता में संदेह।
परिवार ने न्याय की मांग में तीन दिन के भीतर समीक्षा याचिका (review petition) न दायर होने की स्थिति में आत्मदाह की चेतावनी दी है।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने परिजनों से बातचीत की है और राज्य सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर करने की तैयारी शुरू कर दी है।