भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने अपने न्यायिक जीवन के अंतिम दिन एक भावुक विदाई ली और एक प्रेरणादायक संदेश के साथ अपने उत्तराधिकारी का उल्लेख करते हुए न्याय की परंपरा को आगे बढ़ाने की बात कही।
संजीव खन्ना ने न्यायपालिका में वर्षों की सेवा के दौरान कई ऐतिहासिक और जनहित से जुड़े फैसलों में अहम भूमिका निभाई। अपने विदाई भाषण में उन्होंने भारतीय न्याय प्रणाली की निष्पक्षता, पारदर्शिता और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता बताया।
उन्होंने कहा कि “न्याय केवल फैसलों का नाम नहीं, बल्कि समाज में विश्वास बनाए रखने का माध्यम है।” उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि उनके उत्तराधिकारी भी इस मूल भावना को बनाए रखें और संविधान की गरिमा को बनाए रखें।
उनकी विदाई पर सुप्रीम कोर्ट में भावनात्मक माहौल रहा। वकीलों, न्यायाधीशों और कोर्ट स्टाफ ने उन्हें सम्मान और शुभकामनाओं के साथ विदा किया।
संजीव खन्ना की विदाई न केवल एक वरिष्ठ न्यायाधीश की सेवा का अंत है, बल्कि न्याय की एक ऐसी विरासत का संकेत है, जिसे अब उनके उत्तराधिकारी आगे बढ़ाएंगे।