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संवेदनशील मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग पर बंबई हाईकोर्ट सख्त: पीड़िता की पहचान उजागर करना अस्वीकार्य

संवेदनशील मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग पर बंबई हाईकोर्ट सख्त: पीड़िता की पहचान उजागर करना अस्वीकार्य

बंबई उच्च न्यायालय ने संवेदनशील मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग को लेकर चिंताएँ व्यक्त की हैं। विशेष रूप से यौन अपराध, महिलाओं और नाबालिगों से जुड़े मामले जैसे POCSO और Juvenile न्याय मामलों में पीड़िता की पहचान उजागर होने का खतरा बना हुआ है। उनके विचार में ऐसे मामलों के दौरान लाइव स्ट्रीमिंग सुविधा अनुचित हो सकती है, क्योंकि यह सीधा सार्वजनिक पहुँच वाली सामग्री बन जाती है। अदालत ने IPC की धारा 228A सहित अन्य नियमों के अनुसार पहचान छुपाये रखने पर जोर दिया है।

वहीँ, इस वर्ष 7 जुलाई 2025 से बंबई हाई कोर्ट ने पूरे महाराष्ट्र, गोवा, और नागपुर व औरंगाबाद की शाखाओं में नए “Live-streaming and Recording” नियम लागू किए हैं। इसका उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया को पारदर्शी व समावेशी बनाना है। हालांकि नियम स्पष्ट करते हैं कि सभी सुनवाई लाइव नहीं होगी—मात्र सार्वजनिक हित से जुड़े गैर-संवेदनशील मामलों में यह सुविधा उपलब्ध होगी।

लाइव स्ट्रीमिंग नियमावली के अंतर्गत:

केवल वरिष्ठ न्यायाधीशों की अनुमति से ही सुनवाई प्रसारित की जाएगी।

जनहित व गैर-संवेदनशील मामलों में लाइव-स्ट्रीमिंग की जा सकती है।

संवेदनशील मामलों में पहचान छुपाने हेतु फेस-मास्किंग, आवाज विरूपण, नाम को X आदि से उल्लेख करने की व्यवस्था है।

गवाही, साक्ष्य परीक्षण और क्रॉस–परख जैसे क्षणों की लाइव स्ट्रीमिंग प्रतिबंधित है।

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