सुप्रीम कोर्ट ने आज (7 अगस्त 2025) उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने एक ‘इन‑हाउस’ जांच रिपोर्ट और पूर्व CJI संजीव खन्ना की उनकी बर्खास्तगी की सिफारिश को चुनौती दी थी। शीर्ष अदालत ने माना कि जांच प्रक्रिया में कानूनी मान्यता थी और इसमें किसी प्रकार की संवैधानिक अतिक्रमण नहीं हुआ।
न्यायाधीशों दिपंकर दत्ता और A.G. मसिह की खंडपीठ ने यह भी कहा कि न्यायाधीश का आचरण “विश्वास पैदा नहीं करता”, और यह कि यदि प्रक्रिया में कोई आईना‑उल्टा नहीं था तो आगे चुनौती देना अनुचित था। इससे संसद द्वारा महाभियोग कार्रवाई की राह साफ हो गई, क्योंकि जांच रिपोर्ट राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के पास भेजा जा चुका है।
इस फैसले से न्यायपालिका के आंतरिक जांच‑तंत्र की वैधता और प्रभावशीलता बनाए रखने का संदेश जाता है। संसद अब इस मामले में समुचित कार्रवाई कर सकती है।