बिहार चुनाव में ओवैसी की एंट्री, कुछ के लिए फायदा तो कुछ के लिए नुकसान

बिहार विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री हुई है.

बिहार की जनता को लुभाने के लिए और बिहार की मौजूदा राजनीतिक स्थिति का फायदा उठाने का ओवैसी के पास सबसे अच्छा मौका है.

ये ऐसा वक्त है जब बिहार में महा-गठबंधन नाम का कुछ नहीं रहा.

शीशे की तरह राजनीतिक स्थिति साफ दिख रही है. इसे भुनाने के लिए ओवैसी ने समाजवादी जनता दल डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ गठजोड़ किया है.

जेल में बंद लालू प्रसाद यादव की राजनीतिक यात्रा यहीं हो जाएगी खत्म या फिर कैसा बनेगा चुनावी माहौल और किसके सर होगा राजतिलक, ये सब ओवैसी की एंट्री से बड़ा दिलचस्प हो गया है.

एनडीए से लोक जनशक्ति पार्टी का चल रहा मनमुटाव कहीं बिहर विधानसभा चुनाव में जनता के सामने एक नया ही राजनीतिक गठबंधन तैयार न कर दे.

बिहार विधानसभा चुनाव में एंट्री लेने वाले ओवैसी ने देवेंद्र प्रसाद यादव की समाजवादी जनता दल डेमोक्रेटिक से गठबंधन कर लिया है.

उधर रामविलास पासवान अस्पताल में भर्ती हैं और उनके बेटे और पार्टी के अध्यक्ष ही अब हर फैसला ले रहे हैं.

ऐसे में मुमकिन है कि बिहार की जनता को इस तिकड़ी के रूप में नया गठबंधन मिल जाए.

एक बात तो तय है कि ओवैसी के बिहार चुनाव में एंट्री लेने से एनडीए को झटका तो जरूर लगा है.

एनडीए के खेमे में चल रही हलचल या तो नया रुख के सकती है या फिर संभल सकती है.

गठबंधन में चल रहे तनाव को ओवैसी के आने से एक नई दिशा मिलेगी. या तो गठबंधन आपसी मतभेद को भुलाकर एकजुट होकर चुनाव लेड़गा या फिर बिहार में नया समीकरण मिलेगा.

देवेंद्र यादव के साथ गठबंधन करके ओवैसी बिहार में यादव वोट के साथ मुस्लिम बाहुल्य इलाकों पर अपना कब्जा जमा सकते हैं.

वैसे अभी तक बिहार के मुस्लिम वोटर्स आरजेडी को अपना समर्थन देते आए हैं, लेकिन ओवैसी की एंट्री से आरजेडी के वोट बैंक में सेंध लग सकती है.

वैसे भी बीते कुछ सालों से बिहार के सीमांचल क्षेत्र में ओवैसी की पार्टी काफी सक्रिय है.

ऐसा भी माना जा रहा है कि किशनगंज और कटिहार में राजद को ओवैसी बहुत नुकसान पहुंचा सकते हैं.

राजद के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगाने की पूरी तैयारी में है ओवैसी की पार्टी.

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